चाँद चाँदनी दोनों है पर चाँद नही मेरा
चाँद अभी है वैजानिक का उसपर है उसका डेरा
सड़के नही आम लोगों की कुछ खास लोग ही उसपर हैं
खास लोग बंगलों में रहते आम लोग सड़कों पर हैं
आम आदमी करता काम बदले में मिलता कम दाम
खास आदमी चमचा बनकर पा लेता ऐशोआराम
आम आदमी सोता-रोता हँसता कभी कभी
खास आदमी हँसता रहता सोता कभी कभी
आम आदमी ने छेड़ी है अब रोटी पर जंग
खास आदमी खाकर पीजा बोला मैं हूँ तेरे संग
Wednesday, March 25, 2009
जिप्पी बोला पापा से मैं विदेश ही जाऊँगा
जिप्पी बोला पापा से मैं विदेश ही जाऊँगा
रोटी खाकर तंग आ गया अब पीजा ही खाऊँगा
एक तो पैसा यंहा नही है दूजे लोग मतलबी
बस जाऊंगा मैं विदेश में आऊंगा मैं कभी कभी
नाजी नाजी मैं न करता अपने देश कभी शादी
वहीं करूँगा गोरी से ही भले उम्र बीते आधी
बचपन से ही लगन लगी थी इसलिए नही मैं पढ़ पाया
कैसे हो विदेश जाना इसलिए गाँव से मैं आया
यंहा भले कुछ काम कराओ पर ऐसा उपाय कर दो
पैसा जो भी लगे लगाओ पर वीजे का उपाय कर दो
पता नही क्यूँ वीजा लगता अब तक मैं विदेश होता
दिन में मस्ती खूब मचाता और रात को जीभर सोता
रोटी खाकर तंग आ गया अब पीजा ही खाऊँगा
एक तो पैसा यंहा नही है दूजे लोग मतलबी
बस जाऊंगा मैं विदेश में आऊंगा मैं कभी कभी
नाजी नाजी मैं न करता अपने देश कभी शादी
वहीं करूँगा गोरी से ही भले उम्र बीते आधी
बचपन से ही लगन लगी थी इसलिए नही मैं पढ़ पाया
कैसे हो विदेश जाना इसलिए गाँव से मैं आया
यंहा भले कुछ काम कराओ पर ऐसा उपाय कर दो
पैसा जो भी लगे लगाओ पर वीजे का उपाय कर दो
पता नही क्यूँ वीजा लगता अब तक मैं विदेश होता
दिन में मस्ती खूब मचाता और रात को जीभर सोता
बोल वचन की धूम है जैसे ही चुनाव आया
बोल वचन की धूम है जैसे ही चुनाव आया
जनता ने सब देख लिया है नेताओं ने फ़रमाया
भाषणबाजी हो रही घमासान गंभीर
हर दल में कोई ना कोई बना हुआ है वीर
वोट हमें ही दीजिये नाम मेरा बलवीर
मैंने ही विकास करवाया मैं ही बदलूँगा का तकदीर
आचार संहिता की हो रही छीछालेदर रोज
बोल वचन बोलने वालों को आयोग रहा है खोज
पिता-पुत्र आजमा रहे अपना अपना भाग्य
जीत गए तो ठीक है ना जीते वैराग्य
जनता ने सब देख लिया है नेताओं ने फ़रमाया
भाषणबाजी हो रही घमासान गंभीर
हर दल में कोई ना कोई बना हुआ है वीर
वोट हमें ही दीजिये नाम मेरा बलवीर
मैंने ही विकास करवाया मैं ही बदलूँगा का तकदीर
आचार संहिता की हो रही छीछालेदर रोज
बोल वचन बोलने वालों को आयोग रहा है खोज
पिता-पुत्र आजमा रहे अपना अपना भाग्य
जीत गए तो ठीक है ना जीते वैराग्य
Thursday, March 19, 2009
लिविंग रिलेशन में रहें आज लोग खुशहाल
लिविंग रिलेशन में रहें आज लोग खुशहाल
शादी करने वाले जो हैं घूमें हाल बेहाल
आंखों में पानी नही काज़ल लिया लगाय
पार्क घूमते खुल्लमखुल्ला शर्म हया न आए
लड़की सिगरेट फूंकती नारीवाद के नाम
घर का काम पुरूष अब करते वो करती आराम
अपने देश लोग बेगाने जिनकी इंग्लिश कच्ची
बाबू जी को हड़काती है इंग्लिश बोले बच्ची
कोर्ट कचहरी के चक्कर में आम लोग बेहाल
उन्हें जमानत जल्दी मिलती जो हैं मालामाल
आते ही ऋतू चुनाव की नेता बोला बानी
मैंने ही विकास करवाया पंजा मेरी निशानी
शादी करने वाले जो हैं घूमें हाल बेहाल
आंखों में पानी नही काज़ल लिया लगाय
पार्क घूमते खुल्लमखुल्ला शर्म हया न आए
लड़की सिगरेट फूंकती नारीवाद के नाम
घर का काम पुरूष अब करते वो करती आराम
अपने देश लोग बेगाने जिनकी इंग्लिश कच्ची
बाबू जी को हड़काती है इंग्लिश बोले बच्ची
कोर्ट कचहरी के चक्कर में आम लोग बेहाल
उन्हें जमानत जल्दी मिलती जो हैं मालामाल
आते ही ऋतू चुनाव की नेता बोला बानी
मैंने ही विकास करवाया पंजा मेरी निशानी
Thursday, March 5, 2009
छोटे अकडू जो दल सारे उनको कोई फिक्र नहीं
चोर-चोर मौसेरे भाई अब अच्छे हो गए
कितना झूठ बोलते थे वे अब सच्छे हो गए
गुंडे और मवाली जो थे संरक्षक बन गए
सपा से पिछले प्रत्याशी बसपा में चले गए
नारे बदले नीति भी बदली वादों की फुलझडी लगी
कब्र में पांव लटकाए बैठे पर चुनाव की लगन लगी
मंदिर मुद्दा फिर गर्माया यह बोलीं माया
केंद्र में जो कांग्रेसी हैं उनका काम नहीं भाया
कहे भाजपा और दुबारा दलित हमारे साथी हैं
कुछ न किया है बसपा ने केवल उनको भरमाती है
पूंजीपति का करें समर्थन कामरेड हैं कहलाते
इससे उसमे शामिल होकर जनता को हैं भरमाते
छोटे अकडू जो दल सारे उनको कोई फिक्र नहीं
बाहर से ही करें समर्थन पद मिलता निश्चित कोई
'शिशु' कहें देखो चुनाव में मिला दोस्त दुश्मन का मन
पिता पुत्र और भाई - भाई आपस में बन गए दुश्मन
कितना झूठ बोलते थे वे अब सच्छे हो गए
गुंडे और मवाली जो थे संरक्षक बन गए
सपा से पिछले प्रत्याशी बसपा में चले गए
नारे बदले नीति भी बदली वादों की फुलझडी लगी
कब्र में पांव लटकाए बैठे पर चुनाव की लगन लगी
मंदिर मुद्दा फिर गर्माया यह बोलीं माया
केंद्र में जो कांग्रेसी हैं उनका काम नहीं भाया
कहे भाजपा और दुबारा दलित हमारे साथी हैं
कुछ न किया है बसपा ने केवल उनको भरमाती है
पूंजीपति का करें समर्थन कामरेड हैं कहलाते
इससे उसमे शामिल होकर जनता को हैं भरमाते
छोटे अकडू जो दल सारे उनको कोई फिक्र नहीं
बाहर से ही करें समर्थन पद मिलता निश्चित कोई
'शिशु' कहें देखो चुनाव में मिला दोस्त दुश्मन का मन
पिता पुत्र और भाई - भाई आपस में बन गए दुश्मन
असली न लोग रंग किसको लगाऊं मै.....
रंग भी न असली है ढंग भी न असली है,
असली न लोग रंग किसको लगाऊं मै!
रंग किसको लगाऊं मै!
प्यार है दिखावा ही प्रेमिका न अपनी है,
अपनी न भाभी कोई सारी ही मैडम हैं !
रंग किसको लगाऊं मै!
भीड़-भाड़ इतनी है मेला हाट जितनी है,
कौन कौन अपनों है कुछ न समझ आवे है!
रंग किसको लगाऊं मै!
इंग्लिश ही मिलती है देशी का नाम नहीं,
और हम जैसे लोंगन का यंहा कोई काम नहीं !
रंग किसको लगाऊं मै!
'शिशु' कहें पीने पिलाने का दौर यंहा कन्हा,
जितना मज़ा गाँव में है उतना और कन्हा
रंग किसको लगाऊं मै!
असली न लोग रंग किसको लगाऊं मै!
रंग किसको लगाऊं मै!
प्यार है दिखावा ही प्रेमिका न अपनी है,
अपनी न भाभी कोई सारी ही मैडम हैं !
रंग किसको लगाऊं मै!
भीड़-भाड़ इतनी है मेला हाट जितनी है,
कौन कौन अपनों है कुछ न समझ आवे है!
रंग किसको लगाऊं मै!
इंग्लिश ही मिलती है देशी का नाम नहीं,
और हम जैसे लोंगन का यंहा कोई काम नहीं !
रंग किसको लगाऊं मै!
'शिशु' कहें पीने पिलाने का दौर यंहा कन्हा,
जितना मज़ा गाँव में है उतना और कन्हा
रंग किसको लगाऊं मै!
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