इतनी मुख्तर-सी मुलाकात भला
क्या राहत दे सकती है
जबकि वह समय करीब है,
जब मुझे तुमसे विदा लेनी होगी...
वह घड़ी आ चुकी है
अच्छा तो अलविदा-अलविदा...
यह सनाकपूर्ण कविता, यह विदाई कविता
जिसे मैं लिख रहा हूँ तुम्हारे एल्बम में...
संभवतः यही एकलौती निशानी होगी
मेरी पीड़ा की, मेरे इस विछोह की...
(यह प्रसिद्ध कविता रूस के महान कवि एम्.वाई. लोमोर्तोव ने लिखी थी...जिसको हिन्दी में संवाद प्रकाशन, मेरठ ने 'उसका अनाम प्यार' किताब में छापा है। मैंने इसे कई बार पढ़ा है।)
क्या राहत दे सकती है
जबकि वह समय करीब है,
जब मुझे तुमसे विदा लेनी होगी...
वह घड़ी आ चुकी है
अच्छा तो अलविदा-अलविदा...
यह सनाकपूर्ण कविता, यह विदाई कविता
जिसे मैं लिख रहा हूँ तुम्हारे एल्बम में...
संभवतः यही एकलौती निशानी होगी
मेरी पीड़ा की, मेरे इस विछोह की...
(यह प्रसिद्ध कविता रूस के महान कवि एम्.वाई. लोमोर्तोव ने लिखी थी...जिसको हिन्दी में संवाद प्रकाशन, मेरठ ने 'उसका अनाम प्यार' किताब में छापा है। मैंने इसे कई बार पढ़ा है।)
कल्पना एक आस और ओ़स सी जिन्दगी
ReplyDeleteपरिवर्तन शाश्वत क्रम , निरंतर चलता उपक्रम
जीवन एक सच और मृत्यु अटूट बंधन,
आस एक प्यास और भूख एक मंथन
एक कोशिश की बदल दे
ये आबो हवा , शयद पवन चली
फिर वही बात निकली
कर लें एक कोशिश ............
you are today at
ReplyDeletehttp://anand.pankajit.com
bahoot khoob
ReplyDeleteबधाई, रचना सुन्दर बन पड़ी है
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