Friday, April 23, 2010

अप्रैल माह की ज्यादातर ख़बरे एम् (M) शब्द से आयीं

अप्रैल माह की ज्यादातर ख़बरे एम् (M) अक्षर से आयीं
एम् की ख़बरे ख़तरनाक सब एम् न किसी को भायी  

एम् से मुद्रा-स्फूर्ति-दर, एम् से ही महिला बिल 
एम् से ही हैं मनमोहन जी, एम् से दहला* दिल  

एम् से मोदी, एम् से मंत्री और एम् से है मंहगाई, 
एम् से माया, एम् से मुलायम, एम् खबरों में छाई  

एम् से मीडिया ने भी तो एम् मंहगाई को छापा,
एम् से हैं महेंद्रसिंह धोनी एम् मनीष** की माया    

एम् से मुझे नहीं है मालूम मैं हूँ क्यूँ इतना बड़बोला 
एम् से माफ़ मुझे सब करना एम् का भेद है मैंने खोला  

* माववादियों ने भी इस बार कहर बरपाया है. 
**इस आई.पी.एल एम् जहाँ महेंद्रसिंह धोनी जमे हैं वहीं मुंबई टीम के मनीष तिवारी ने भी कमाल का खेल दिखाया है. 

Thursday, April 22, 2010

धरना और प्रदर्शन से अब जनमानस है त्रस्त

धरना और प्रदर्शन से अब जनमानस है त्रस्त,
धरना वाले भी हैं पीड़ित वो भी उससे ग्रस्त, 
वो धरने से ग्रस्त, कष्ट में अब जनता है सारी    
कम हो कैसे मंहगाई जबकि भ्रष्ट तंत्र है ये सरकारी
'शिशु' कहें दोस्तों अगर मंहगाई दूर है करना
बोल रही भाजपा अब होगा धरने पर धरना 

Thursday, April 15, 2010

तीन देवियाँ!!!

तीन देवियाँ!!!

बामुलाहिजा होशियार, 
शीला दीक्षित जी तैयार, 
झुग्गी-बस्ती गिराएंगी, 
फ्लाईओवर बनाएंगी, 
दिल्ली चमकायेंगी
सबको खेल दिखाएंगी...

तिलक-तराजू और तलवार, 
उनके मारो जूते चार,
माया जी का नारा
दलित हमें है प्यारा
मंत्री जी लाओ हज़ार-हज़ार के नोट
और जनता से दिलवाओ मुफ्त में वोट...

ममता बनर्जी!
कांग्रेस दे रहा अर्जी दर अर्जी, 
महिला बिल पास हो, उनकी नहीं मर्जी
यही तीन देवियाँ है आजकल की सर जी

Wednesday, April 14, 2010

आज से दोस्त हुए हम दोनों, नहीं दोस्ती तोड़ेंगे

मैं गरीब हूँ और तू गरीब है और न कोई गरीब, 
ये दुनिया है बदमाशों की, मैं और तू ही शरीफ.

मुझे नहीं पैसे का लालच तूभी नहीं है लोभी, 
हम दोनों हरहाल में रहते खाते दे दो जोभी. 

मेरे पास न गाड़ी-घोड़ा और तेरे पास न नैनो कार 
मैं बस में चलता हूँ यार, तू भी बस में चलता यार

मैं हूँ सत्य मार्ग पर चलता तू भी झूठ नहीं बोला,
मेरे बाबा रामदेव जी, सच! तू भी उनका ही चेला!

मैं हूँ गाँव देहात का वासी, मेरा यंहा नहीं घर-द्वार, 
तू भी रहता है किराए से तेरा घर भी गंगा पार.

आज से दोस्त हुए हम दोनों, नहीं दोस्ती तोड़ेंगे
जब तक होंगे दिल्ली में हम साथ न तेरा छोड़ेंगे  

Thursday, April 8, 2010

यदि घर में हिंसा लाओगे... बीबी पर हाँथ उठाओगे.


(दूध की बढ़ती कीमत...)
दूध से क्रीम बनाओगे...
और मुहं पर उसे लगाओगे...
तो दूध-दही क्या आपोगे ? ? ?

(पानी की समस्या....)
पानी अगर बहाओगे...
उससे गाड़ी धुलवाओगे...
पानी में दूध मिलाओगे...
तो क्या पानी पी पाओगे ? ? ? 

(दिल्ली सरकार .....)
गैस दे दाम बढाओगे...
और खेल-खेल चिल्लाओगे...
जनता को बरगलाओगे... 
क्या वोट मेरा पा जाओगे ? ? ?

(पर्यावरण...) 
यदि नैनो में सब जाओगे...
और सड़क पे जाम लगाओगे...
बस का उपयोग ना लाओगे..
क्या पर्यावरण बचाओगे ? ? ?

(नौकरी ....)
यदि ऑफिस देर से आओगे...
और काम-काम चिल्लाओगे...
तनख्वाह की मांग बढ़ाओगे...
क्या ऑफिस में टिक पाओगे ? ? ?

(घरेलू हिंसा...)
यदि घर में हिंसा लाओगे...
बीबी पर हाँथ उठाओगे...
और उस पर तुम चिल्लाओगे..
तो क्या तुम पति कहाओगे ? ? ?

इसीलिये अब नहीं लिख रहा, मन में ही लिख लेता हूँ.

गीत लिखूं या लिखूं कहानी
नहीं समझ कुछ आता है,
अपना लिखा गीत मुझको तो 
बिलकुल ही ना भाता है.

कभी-कभी तो जगकर रात
लिखता और मिटाता गीत
लिखा हुआ पढ़ता कई बार
नहीं समझ में आता गीत 

कई बार लिखते-लिखते 
कुछ झुंझलाहट सी होती 
और कभी जाने-अनजाने 
कविता पलक भिगोती

कितने ही मौके आये जब- 
लगता लिखना है बेकार, 
कितने ही मौके आये जब-
लगता बेड़ा गर्क है यार

खुद से पूछा कितनी बार,
क्या होगा जो लिख डाला? 
लिखते हो तो अच्छा लिखते
ये क्या है गड़बड़ झाला?

जब पढ़ता औरों के गीत
तब लगता मैं हूँ नालायक
मेरी कविता अर्थ-अनर्थ,
उसकी कविता ही है लायक

इसीलिये अब नहीं लिख रहा,
मन में ही लिख लेता हूँ. 
'नज़र-नज़र का फेर' समझकर
खुद निंदा कर लेता हूँ.  Poems and Prayers for the Very Young (Pictureback(R))

Tuesday, April 6, 2010

जीजाजी होंगे सोहेब! क्या भारत होगा साला ?

जीजाजी होंगे सोहेब! क्या भारत होगा साला ?
कुछ दिन चुप होकर के बैठो लगा के मुंह पे ताला

पाकिस्तान में भाभी- भाभी मचा हुआ है शोर,
दावत और वलीमा दोनों हो रहे हैं चंहुओर.

कट्टरपंथी प्यार में अब अड़ा रहे हैं टांग,
अखबारी मुर्गा जो सब हैं रात में दे रहे बांग.

सोहेब! पहले से शादी-शुदा पहले से दामाद,
अबसे पहले गुम थी बीबी अभी कर रही याद.

'शिशु'-'भावाना', दे रहे अभी से उन्हें बधाई,
वाह-वाह अल्लामियां-राम जी जोड़ी खूब बनाई.

वंदन-अभिनन्दन है स्वागत, आप आये घर-द्वार हमारे,

वंदन-अभिनन्दन है स्वागत, आप आये घर-द्वार हमारे,
कैसे कहूं शब्द कम पड़ते, हुए धन्य हम आप पधारे,

हर्षित हो सहगान कर रहे,
अपने पर अभिमान कर रहे,
आप को अर्पित पुष्प ये सारे,
हुए धन्य हम आप पधारे...
वंदन-अभिनन्दन है स्वागत, आप आये घर-द्वार हमारे,
कैसे कहूं शब्द कम पड़ते, हुए धन्य हम आप पधारे,

धन्य भाग्य हम आपको पाकर
आप अतुल्य आप हैं सागर,
आप चन्द्रमा हम सब तारे
हुए धन्य हम आप पधारे...
वंदन-अभिनन्दन है स्वागत, आप आये घर-द्वार हमारे,
कैसे कहूं शब्द कम पड़ते, हुए धन्य हम आप पधारे,

रख्खा मान आप जो आये
जितने यहाँ सभी को भाये
आपका स्वागत करते सारे
हुए धन्य हम आप पधारे...
वंदन-अभिनन्दन है स्वागत, आप आये घर-द्वार हमारे,
कैसे कहूं शब्द कम पड़ते, हुए धन्य हम आप पधारे...