ये दुनिया है बदमाशों की, मैं और तू ही शरीफ.
मुझे नहीं पैसे का लालच तूभी नहीं है लोभी,
हम दोनों हरहाल में रहते खाते दे दो जोभी.
मेरे पास न गाड़ी-घोड़ा और तेरे पास न नैनो कार
मैं बस में चलता हूँ यार, तू भी बस में चलता यार
मैं हूँ सत्य मार्ग पर चलता तू भी झूठ नहीं बोला,
मेरे बाबा रामदेव जी, सच! तू भी उनका ही चेला!
मैं हूँ गाँव देहात का वासी, मेरा यंहा नहीं घर-द्वार,
तू भी रहता है किराए से तेरा घर भी गंगा पार.
आज से दोस्त हुए हम दोनों, नहीं दोस्ती तोड़ेंगे
जब तक होंगे दिल्ली में हम साथ न तेरा छोड़ेंगे
aisa ..lagta hai dohe likhne ki koshish ki gayi hai ....ya ek tanha sher sa kuch .... bhaav achhe lage..craft me gunjaish hai sudhar ki
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