Tuesday, October 27, 2009

फुर्सत मिलती नही आजकल...

फुर्सत मिलती नही आजकल,
हरपल काम है रहता।
देर-सबेर पहुंचता घर तब,
घर पर डांट मैं सहता।

चैटिंग भी कर ना सकता मैं,
फोन से बात नही होती।
सत्य बात ये बतलाता घर,
फिर भी तू-तू -में-में होती।

दोस्त सभी नाराज हो गए,
कहते तुम बन गए अधिकारी।
इसी तरह यदि रहा और दिन,
निश्चित टूटेगी यारी।

नयी नौकरी मिली है जब से,
गाँव भी जाना नही हुआ।
लाया था खरीद एक पुस्तक,
उसको भी हाँ नही छुआ।

तेरह है तारीख आखिरी,
अगले महीने जो आयेगी।
उसके बाद मिलेगी फुर्सत,
'शिशु' तभी बात हो पायेगी।

3 comments:

  1. आज के व्यस्त जीवन को दर्शाती कविता , अच्छी लगी

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  2. hope u get free soon sir..............

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