रंग चढ़ा इस बार हाय! देखो मंहगाई रंग-बिरंगी,
सारा रंग उसी को लग गया वो दिखती बहुरंगी.
फीका रंग मिठाई का है, फीके सब पापड़ गुझिया,
छोड़-छाड़ पचरंग मिठाई, खायेंगे अब सब भुजिया.
बिन हुडदंग ना होली भाती, बिना भंग ना रंग,
बिन पैसे के कुछ ना आता अब पैसा ना मेरे संग
उहापोह में जान 'शिशु' की किसी ने रंग लगाया,
लौटायेंगे वो कैसे रंग? हमको फीका रंग ना भाया
होली है इस बार की अर्पित मंहगाई माता के नाम
अगली साल खेल लेंगें रंग तब तक आजायेंगे दाम
Sunday, February 21, 2010
Wednesday, February 17, 2010
मैंने बीबी को बोला प्रिय हैप्पी वेलिन टाइन डे,
मैंने बीबी को बोला प्रिय हैप्पी वेलिन टाइन डे,
बीबी हंसकर बोली मुझसे क्या बेलन स्टाइल डे?
क्या बेलन स्टाइल डे? अजी यह क्या कहते हो
बोल रहे ऐसे प्रिय तुम जैसे हर दिन ही सहते हो
'शिशु' कहें श्रीमती बोली प्रिय माँ से मत कहना
'बेलन स्टाइल डे' मना आज से तुम झाडू सहना
बीबी हंसकर बोली मुझसे क्या बेलन स्टाइल डे?
क्या बेलन स्टाइल डे? अजी यह क्या कहते हो
बोल रहे ऐसे प्रिय तुम जैसे हर दिन ही सहते हो
'शिशु' कहें श्रीमती बोली प्रिय माँ से मत कहना
'बेलन स्टाइल डे' मना आज से तुम झाडू सहना
Sunday, February 14, 2010
अब द्विज, क्षत्रिय सूद्र कौन है, बनिया कौन कहाता
अब द्विज, क्षत्रिय सूद्र कौन है, बनिया कौन कहाता
मिल जाए बस कोटा हमको हर कोई यही चाहता
कोटा वो भी तैंतीस प्रतिशत, इससे कममें बात नहीं
हो जाएँ कोटे में शामिल फिर मेरी कोई जात नहीं
कर देंगे हड़ताल यदि नहीं मिला ढंग का कोटा
हम है बड़े बहादुर सुनलो नहीं समझाना छोटा
बोल रहे ये बढ़-बचन जाति के जो सब ठेकेदार
बोल रहे जल्दी दे कोटा, है परेशान सरकार
'शिशु' न कोटा हमें चाहिए हम है कोटेदार
देल्ली में कर रहा नौकरी छोड़छाड़ घरद्वार
मिल जाए बस कोटा हमको हर कोई यही चाहता
कोटा वो भी तैंतीस प्रतिशत, इससे कममें बात नहीं
हो जाएँ कोटे में शामिल फिर मेरी कोई जात नहीं
कर देंगे हड़ताल यदि नहीं मिला ढंग का कोटा
हम है बड़े बहादुर सुनलो नहीं समझाना छोटा
बोल रहे ये बढ़-बचन जाति के जो सब ठेकेदार
बोल रहे जल्दी दे कोटा, है परेशान सरकार
'शिशु' न कोटा हमें चाहिए हम है कोटेदार
देल्ली में कर रहा नौकरी छोड़छाड़ घरद्वार
Tuesday, February 9, 2010
वैज्ञानिक कहते परिवर्तन, ये जलवायु बदलने से
आई है बसंत ऋतु फिरसे, क्या हरियाली भी लायेगी,
फूल खिलेंगे डाली-डाली क्या कोयल सुर में गायेगी.
अब जाड़ों में होती वर्षा, क्या गर्मी में खिलेगी धूप
वर्षा होगी बारिश ऋतु में या होगा कुछ और ही रूप
मौसम भी अब इंसानों सा अपना रूप दिखाता है
है कोई ऐसा अब मौसम जो हमको अब भाता है
वैज्ञानिक कहते परिवर्तन, ये जलवायु बदलने से
पर्यावरण संतुलित होगा खुद की सोच बदलने से
पंडित जी बोले अब कलयुग लगता है हो गया जवान,
अब भी वक्त संभालने का है बदल ले अपने को इंसान,
'शिशु' सलाह दे सकता ना, ये है 'नज़र नज़र का फेर',
वक्त बहुत कम है इंसानों सुधर अभी जा हुयी न देर.
फूल खिलेंगे डाली-डाली क्या कोयल सुर में गायेगी.
अब जाड़ों में होती वर्षा, क्या गर्मी में खिलेगी धूप
वर्षा होगी बारिश ऋतु में या होगा कुछ और ही रूप
मौसम भी अब इंसानों सा अपना रूप दिखाता है
है कोई ऐसा अब मौसम जो हमको अब भाता है
वैज्ञानिक कहते परिवर्तन, ये जलवायु बदलने से
पर्यावरण संतुलित होगा खुद की सोच बदलने से
पंडित जी बोले अब कलयुग लगता है हो गया जवान,
अब भी वक्त संभालने का है बदल ले अपने को इंसान,
'शिशु' सलाह दे सकता ना, ये है 'नज़र नज़र का फेर',
वक्त बहुत कम है इंसानों सुधर अभी जा हुयी न देर.
Sunday, February 7, 2010
'शिशु' कहें हाय! मंहगाई माता कुछ तरस दिखाओ,
मंहगाई है बहुत आजकल चीनी कम ही खाना,
पीली दाल बिक रही है जो उसको रोज पकाना,
उसको रोज पकाना, हरी सब्जी का कर परहेज,
काम खुद ही करना, कामवाली बाई को देना भेज,
'शिशु' कहें हाय! मंहगाई माता कुछ तरस दिखाओ,
चीनी पहले वाली कीमत में तुम सबको दिलवाओ.
गैस के दाम बढेंगे और, श्रीमती ने कान में बोला
पढ़ती हूँ अखबार आजकल सोना है किस तोला
सोना है किस तोला, बिचौलियों की आजकल चांदी
दो तोला मुझको दिलवादो प्रियतम हूँ मैं आपकी बांदी*
'शिशु' कहें दोस्तों मैं आजकल बांदी-चांदी से डरता
गैस के दाम बढ़ना ना प्रभु तुमही मंत्री दुख हरता
*पुराने समय में दासी को बांदी कहा जाता था.
पीली दाल बिक रही है जो उसको रोज पकाना,
उसको रोज पकाना, हरी सब्जी का कर परहेज,
काम खुद ही करना, कामवाली बाई को देना भेज,
'शिशु' कहें हाय! मंहगाई माता कुछ तरस दिखाओ,
चीनी पहले वाली कीमत में तुम सबको दिलवाओ.
गैस के दाम बढेंगे और, श्रीमती ने कान में बोला
पढ़ती हूँ अखबार आजकल सोना है किस तोला
सोना है किस तोला, बिचौलियों की आजकल चांदी
दो तोला मुझको दिलवादो प्रियतम हूँ मैं आपकी बांदी*
'शिशु' कहें दोस्तों मैं आजकल बांदी-चांदी से डरता
गैस के दाम बढ़ना ना प्रभु तुमही मंत्री दुख हरता
*पुराने समय में दासी को बांदी कहा जाता था.
Wednesday, February 3, 2010
बीत गया है अर्सा कितना उनसे बात नहीं होती
बीत गया है अर्सा कितना,
उनसे बात नहीं होती.
होती भी तो कैसे होती,
मिलने पर अब जो रोती ..
हँसता चेहरा उसका भाता,
अब वो हंसी नहीं दिखती.
पहले पहल लिखे थे ख़त जो,
वैसे ख़त अब कम लिखती..
कभी कभी तो लगता ऐसा,
ख़ता हुयी थी मुझसे भारी.
प्रेम बढाया था मैंने ही,
भूल हुयी मुझसे सारी..
झूठ बोलना पहले उसका,
मुझको लगता था प्यारा.
पहले सब दुश्मन थे मेरे,
वो आँखों की थी तारा..
अब मिलती है सहमी सहमी,
जैसे मैं हूँ बहुत कठोर.
इसीलिये मैं भी कम मिलता.
पकड़ लिया दूजे का छोर..
उनसे बात नहीं होती.
होती भी तो कैसे होती,
मिलने पर अब जो रोती ..
हँसता चेहरा उसका भाता,
अब वो हंसी नहीं दिखती.
पहले पहल लिखे थे ख़त जो,
वैसे ख़त अब कम लिखती..
कभी कभी तो लगता ऐसा,
ख़ता हुयी थी मुझसे भारी.
प्रेम बढाया था मैंने ही,
भूल हुयी मुझसे सारी..
झूठ बोलना पहले उसका,
मुझको लगता था प्यारा.
पहले सब दुश्मन थे मेरे,
वो आँखों की थी तारा..
अब मिलती है सहमी सहमी,
जैसे मैं हूँ बहुत कठोर.
इसीलिये मैं भी कम मिलता.
पकड़ लिया दूजे का छोर..
Monday, February 1, 2010
महंगी चीनी जान कर सुगर किया बहाना
महंगी चीनी जानकर सुगर का किया बहाना
मोटापा कम हो इस खातिर खाता कम ही खाना
खाता कम ही खाना दाल से मुझको बहुत एलर्जी
रहता हूँ उपवास दिवस दस, है प्रभु की ये मर्जी
'शिशु' कहें महंगाई-महंगाई है रोते सब प्राणी
तौबा - तौबा करके कहते अब चीनी ना खानी
मोटापा कम हो इस खातिर खाता कम ही खाना
खाता कम ही खाना दाल से मुझको बहुत एलर्जी
रहता हूँ उपवास दिवस दस, है प्रभु की ये मर्जी
'शिशु' कहें महंगाई-महंगाई है रोते सब प्राणी
तौबा - तौबा करके कहते अब चीनी ना खानी
ये सब दुनिया दुनियादारी,,कह मंदिर के बने पुजारी,
ये सब दुनिया दुनियादारी,
कह मंदिर के बने पुजारी,
राजनीति में भी घुस आये
बोलके असली धर्माचारी.
राम ही मंदिर, मंदिर राम,
जपते करते ना कुछ काम,
कार में जपते राम का नाम
दिन भर करते फुल आराम
चंदा लेकर करते दंगा
घूम के आये चारों धाम
चेलों को नौकर बन रखते
उनसे करवाते सब काम
एक हो उसका नाम बताएं
बतलाएं तो मार भी खाएं
इसीलिये मुंह बंद रखूंगा
'शिशु' को कभी नहीं ये भाए
कह मंदिर के बने पुजारी,
राजनीति में भी घुस आये
बोलके असली धर्माचारी.
राम ही मंदिर, मंदिर राम,
जपते करते ना कुछ काम,
कार में जपते राम का नाम
दिन भर करते फुल आराम
चंदा लेकर करते दंगा
घूम के आये चारों धाम
चेलों को नौकर बन रखते
उनसे करवाते सब काम
एक हो उसका नाम बताएं
बतलाएं तो मार भी खाएं
इसीलिये मुंह बंद रखूंगा
'शिशु' को कभी नहीं ये भाए
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