अब द्विज, क्षत्रिय सूद्र कौन है, बनिया कौन कहाता
मिल जाए बस कोटा हमको हर कोई यही चाहता
कोटा वो भी तैंतीस प्रतिशत, इससे कममें बात नहीं
हो जाएँ कोटे में शामिल फिर मेरी कोई जात नहीं
कर देंगे हड़ताल यदि नहीं मिला ढंग का कोटा
हम है बड़े बहादुर सुनलो नहीं समझाना छोटा
बोल रहे ये बढ़-बचन जाति के जो सब ठेकेदार
बोल रहे जल्दी दे कोटा, है परेशान सरकार
'शिशु' न कोटा हमें चाहिए हम है कोटेदार
देल्ली में कर रहा नौकरी छोड़छाड़ घरद्वार
bahut badhiya kataaksh.
ReplyDeleteसटीक कटाक्ष!
ReplyDeleteभ!रत पुरे विश्व में एक मात्र देस है जहा संस्कृति में इतने भेद होकर भी सब भाई भाई है .............................. जब तक ये राजनितिज हमें न ब!टे ये राजनीती ही तो हमें छोटे छोटे टुकड़ो में आराक्चन के लाली पॉप दिखा आपस में बाट रही है सार्थक चिन्तन के लिए साधुवाद अजय त्रिपाठी
ReplyDelete" कुछ कह न सके कुछ कह भी गए
ReplyDeleteकहते कहते कुछ रह भी गए "
बहुत ठीक फ़रमाया जनाब ने !