आई है बसंत ऋतु फिरसे, क्या हरियाली भी लायेगी,
फूल खिलेंगे डाली-डाली क्या कोयल सुर में गायेगी.
अब जाड़ों में होती वर्षा, क्या गर्मी में खिलेगी धूप
वर्षा होगी बारिश ऋतु में या होगा कुछ और ही रूप
मौसम भी अब इंसानों सा अपना रूप दिखाता है
है कोई ऐसा अब मौसम जो हमको अब भाता है
वैज्ञानिक कहते परिवर्तन, ये जलवायु बदलने से
पर्यावरण संतुलित होगा खुद की सोच बदलने से
पंडित जी बोले अब कलयुग लगता है हो गया जवान,
अब भी वक्त संभालने का है बदल ले अपने को इंसान,
'शिशु' सलाह दे सकता ना, ये है 'नज़र नज़र का फेर',
वक्त बहुत कम है इंसानों सुधर अभी जा हुयी न देर.
वैज्ञानिक कहते परिवर्तन, ये जलवायु बदलने से
ReplyDeleteपर्यावरण संतुलित होगा खुद की सोच बदलने से
sundar abhivyakti..