Thursday, March 25, 2010

मेल! मेल को समझो मेला घर को कर दो सेल

अब दिल्ली में भीख मांगना और बड़ा अपराध,
अपराध! यदि हुआ किसी से भी तो समझो जेल,
जेल! जेल को नहीं समझना आने वाले खेल,
खेल! खेल-खेल में होगी सड़क पे रेलमपेल
रेलमपेल! कुम्भ जैसे बिछड़ेंगे, फिर होगा तब मेल
मेल! मेल को समझो मेला घर को कर दो सेल
सेल! सेल से पैसा जो आये उससे खा पूरी-भेल

1 comment: