Wednesday, November 5, 2008

हम, तुम सबमे अच्छे

आप
दोमुंहा सांप
वो सब अक्ल के कच्चे
हम, तुम सबमे अच्छे
तुम सब गधे के पूत
हमीं स्वर्ग के दूत

यही इस समय चल रहा है
पता है इसलिए कि चुनाव का बिगुल बज रहा है

आरोप - प्रत्यारोप के बाण चल रहे हैं,
युध कि तरह चुनाव के ऐलान हो रहे हैं!

अदला बदली तो हमारा गहना है
यह मेरा नही उनका कहना है

पुराने सारे नारे नए में बदल गए
भाजपा के प्रत्यासी बसपा में चले गए

"तिलक तराजू और तलवार उनके मारो जूते चार" कि जगह अब
हाथी नही गणेश है ब्रम्हा विष्णु महेश है,

सौदा पटा तो भी टिकेट कटा नही पटा तो भी टिकेट कटा
हर रोज यही ख़बर है कि उसकी जगह कोई दूसरा प्रत्यासी डटा

घोषणा पत्र को चुनावी एजेंडा कहा जाता है
यही घर घर जाकर हर एक को थमाया जाता है

हरिजन के पैर कोई ब्राम्हण छु गया
राम राम कि जगह जय भीम कह गया

चलो इसी बहाने छुआ - छूत् मिट गया
अपराधी कलुआ इसी से खुश है उसे कोई दूत मिला गया

हमें क्या? हम तो जनता हैं
हमारे साथ सब कुछ यूँही चलता है

2 comments:

  1. चलो इसी बहाने छुआ - छूत् मिट गया
    अपराधी कलुआ इसी से खुश है उसे कोई दूत मिला गया

    achcha oe sachcha likha hai

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