Wednesday, February 25, 2009

राम राम कहो माखन मिश्री घोलो ... व्यंग मत बोलो

व्यंग मत बोलो
काटता है जूता तो क्या हुआ
पैर में न सही सर पर रख डोलो
व्यंग मत बोलो

कुछ सीखो गिरगिट से जैसी साख वैसा रंग
जीने का यही है सही सही ठंग
अपना रंग दूसरों से है अलग तो क्या हुआ
उसे रगड़ धोलो
पर व्यंग मत बोलो

भीतर कौन देखता है बाहर रहो चिकने
यह मत भूलो यह बाज़ार है सभी आये बिकने
राम राम कहो माखन मिश्री घोलो
व्यंग मत बोलो
(यह कविता सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के संकलन से ली गई है)

खुदका हित बनता है यदि तो झूठ बोलते जाओ ....

सोच समझकर बोलना भले झूठ हो सत्य
जितना संभव हो सके छिपा सभी लो तथ्य
छिपा सभी लो तथ्य झूठ का दामन पकडो
काम करे जो जितना ही उसको ही रगडो
कहें 'शिशु' सत्यता ना कटु बनाओ
खुदका हित बनता है यदि तो झूठ बोलते जाओ

दोस्त भले दुश्मन बने अपना हित लो साध
सबसे पहले खुद को देखो उसके बाद एकाध
उसके बाद एकाध और वो भी अपने हो
भले इन्ही अपनों की खातिर नाम कई क्यूँ जपने हो
'शिशु' कहें बात है सीधी साधी
साध के अपना हित करो दूसरों की बर्बादी

गाँव गाँव नौबत बजी अच्छो को लो खोज
पकड़ पकड़ लाओ यंहा देता हूँ मै डोज़
देता हूँ मै डोज़ बड़े अच्छे बनते हैं
है कठोर कलयुग फिर भी सच्चे बनाते हैं
'शिशु' कहें शुभ चुनाव की बेला आई
गुंडों और बदमाशों ने यह नौबत बजवाई

अभिनेता नेता बने अभिनय फेंका दूर
जैसे ही कुर्सी मिली वादे हुए कफूर
वादे हुए कफूर राह अभिनय की पकडी
और दूसरे एक संसद की कुर्सी जकड़ी
'शिशु' कहें आज नेता ही अभिनेता पूरे
इसीलिये जनता के वादे रहते सदा अधूरे

Tuesday, February 24, 2009

'शिशु' कहे इसलिए आज से चिकनी चुपडी बोलूँगा.....

कटु सत्य कह देने में कठिनाई बहुत बड़ी होती
और बाद में यह उसके धन की हानि है कर देती

कभी कभी इस कटु सत्य से दोस्त भी दुश्मन हो जाते
और दुश्मनों के मन में हम अपनी छाप बना जाते

पहले के युग में थी अपनी इसकी अलग बड़ी पहचान
आज अगर कटु सत्य सुनाओ आफत में पड़ जाती जान

क्यूंकि कान अब कच्चे हो गए सुनने को तैयार नहीं
कहा कही यदि साथी को तो समझो अब वो यार नहीं

कार्यालय में कटु सत्य तो और भी है आसान नहीं
यदि धोखे से निकल गया तो समझो कोई मान नहीं

'शिशु' कहे इसलिए आज से चिकनी चुपडी बोलूँगा
भले देख लूं आखों से मगर सत्य न बोलूँगा

Wednesday, February 18, 2009

हँसना हितकर है बहुत, हँसों जोर से रोज

हँसना हितकर है बहुत, हँसों जोर से रोज
कैसे हँसना हो अभी, सभी लोग लो खोज
सभी लोग लो खोज और हँसते ही जाओ
नही अगर हो ऐसे हो हंसने की गोली खाओ
कह कवि 'शिशु' बात तुम मेरी मानो
हँसना है हितकर हसीं की कीमत जानो

रोना अच्छी बात ना इससे कर परहेज
कैसे भी कुछ भी करो आंसू रखो सहेज
आंसू रखो सहेज कीमती मोती ना खोना
कुछ भी हो जाए लेकिन तुम कभी ना रोना
कह कवि 'शिशु' दुआ कोई न रोये
आंसू जो मोती जैसे कोई न खोये

Thursday, February 12, 2009

सड़क किनारे भीख मांगते बच्चे जो दिखते हैं सारे

सड़क किनारे भीख मांगते बच्चे जो दिखते हैं सारे
जाने कब? कैसे निकलेगे? इस दलदल से तारे

भीख मिलेगी ज्यादा क्या? इसलिए बेचारे रोते
सुबह-रात हो सभी दीखते जाने कब ये सोते

जाड़ों की भीषण रातों में सदा उघारे रहते
गर्मी अब आयेगी तब ये मैला कोट पहनते

जो बच्चे हैं भीख मांगते उनकी उम्र है कच्ची
बड़ी उम्र के किताब बेचते करते माथा-पच्ची

कुछ बच्चे तो गाड़ी भी उन कपड़ों से चमकाते
जिन्हे पहन सर्दी-गर्मी में चौराहों पर आते

दशा कहें या अति दुर्दशा उन बच्चों की होती
जिनको चलने-फिरने या फिर कमी अंग में होती

वे सड़कों के खड़े किनारे बेबश हो बेचारे
देखें कातर नजरों से, कोई उनको देख पुकारे

कुछ बच्चे जो अच्छे-खासे बने अपाहित फिरते
क्योंकि मिलेगा पैसा ज्यादा इसी ताक में रहते

जैसे ही रेड लाइट पर गाड़ियां रूकेगी सारी
कभी-कभी भीख की खातिर करते मारा-मारी

नियम बने कानून बने पहले से इतने ज्यादा
किन्तु आज तक लागू हो पाया देखो आधा

इन गरीब बच्चों के नाम, कुछ लोग जहाज में चलते
मोटी-मोटी तनख्वाहों से अपनी जेबें भरते

प्लानिंग करते, मीटिंग करते, मंहगे होटल में रूकते
उन बच्चों की फिक्र न कोई जो कष्ट अनेकों सहते

वर्कशाप अंग्रेजी में हो यह ध्यान हमेशा रखते
किन्तु न करते जरा ध्यान भी जिनकी दम पर चलते

राइट बेस अप्रोच बनाते एडवोकेसी करते
जितनी भी एनजीओ हैं सब देखा-देखी करते

'शिशु' कहें लिखने में मेरा हृदय द्रवित हो जाता
इससे ज्यादा हाल बुरा अब लिखा नही है जाता

Wednesday, February 11, 2009

जो दिल में घाव करे गहरे उसको ही प्यारा कहते हैं

हंसी-हंसी में दिल को लगाया रोने वाली बातों को।
क्या बतलायें कैसे झेला उन अंधेरी रातों को।।

जबसे तूने प्यार के बदले कीमत देनी चाही है।
तबसे हमने ठान लिया तेरे आने की मनाही है।।

जो प्यार करे इस दुनिया में उसको आवारा कहते हैं।
जो दिल में घाव करे गहरे उसको ही प्यारा कहते हैं।।

मनचलों को मनमाना कहते, मनचला नहीं, तो प्यार करें।
जो प्यार करे सच्चा-सच्चा, उस पर ना वो इतबार करें।।

रोने वालों को लोग कहें, दुख इसके बहुत बड़े होंगे।
जो हंस कर कष्ट छिपाते हैं वो उनसे बहुत बड़े होंगे।

बेवफ़ा यहां पर हर कोई, ये बात अलग बतलाये ना।
है सच्चा जो बतलाये ये, जो झूठी कसमें खाये ना।

क्या 'शिशु' कभी झूठा होगा ये आज तुम्हें बतलाता है।
बतलाने से पहले यारों खुद झूठी कसमें खाता है।

अब यार रहे ना याराना, अब हीर नहीं कोई रांझा
अब प्यार भी चलता है वैसे जैसे धंधों में है साझा

फूल देते 'फूल लोग' ताकि प्यार याद रहे!

प्यार, तकरार, रार आदमी की देन है,
आदमी ही आदमी का बहुत बड़ा फैन है!

प्यार जब करे कोई देखता न रूप-रंग,
उम्र सीमा कोई नही, देखता ना कोई ढंग!

प्यार के इज़हार की है आदि-अंत कोई नही,
दूजी बात जाती-पांति उम्र सीमा कोई नही!

पहला प्यार भूलना है काम आसान नही
और दूजे प्यार पाना भी यार है आसान नही

प्यार का ना कोई दिन, रोज़-रोज़ प्यार रहे
फूल देते 'फूल लोग' ताकि प्यार याद रहे!

'शिशु' कहें प्यार में तकरार एक आम बात,
किंतु तकरार में यदि प्यार रहे बड़ी बात!

Thursday, February 5, 2009

भारत की ऋतुएँ सब प्यारी .............

डाल-डाल पर फूल खिले हैं
कलियाँ भी मुस्काईं
भौंरे तितली गीत गा रहे
पतझड़ की ऋतु आई

बोल पपीहा रहा कहीं पर
कोयल गाती है मधुर गीत
भौरें गुंजन करते रहते
जैसे साजन-सजनी की प्रीत

सूरज की तपन बढ़ी ऐसी
कुछ-कुछ गर्मी लगती है
जाड़ा समझो हो गया ख़त्म
नयी ऋतु प्यारी ये लगाती है

इस मनमोहक ऋतु का
हर कोई करता रहता इन्तजार
सुंदरियाँ करती हैं श्रृंगार
प्रिय का पाती भरपूर प्यार

फसलें पक जायेंगी
होगा अनाज भरपूर
यह सोच रहा है एक किसान
अब पल वो नही है दूर

भारत की ऋतुएँ सब प्यारी
हर ऋतु का अपना अलग मजा
लेकिन इस बसंत ऋतु का
सबसे बढ़कर है अलग मजा

होली के हुडदंग में उसने पीली कुछ ऐसी

होली के हुडदंग में उसने पीली कुछ ऐसी
होश गवां बाप से बेटा बोला तेरी ऐसी- तैसी

बिना पिए, कह देता हूँ इस बार नही रंग खेलूँगा
अब मै बच्चा रहा नही, इसलिए नही रंग खेलूँगा

ख़ुद विस्की पीकर खुश होते मुझे रंग की पुडिया
बेटा हूँ मै, बेटी कोई जो दिखलाते गुडिया

चल निकाल सौ सौ के नोट, दो अद्धे लाऊंगा
दे दस दस के खुल्ले नोट नमकीन भी लेता आऊंगा

होली में रंग का क्या लेना कीचड कब काम में आएगा
खालो - पीलो मौज मनालो साथ में कुछ न जाएगा

सुनकर ये बातें बेटे की बाप तुरत ही बोला
हाय! व्यर्थ जीवन में बीता, अब सच तूने बोला

जर जमीन जोरू जो है उसको जल्दी बिकवादे
अद्धे को तू मार दे गोली पूरी बोतल पिलवादे

Wednesday, February 4, 2009

चुम्में और अश्श्लीलता

दोस्तों एक बहुत खतरनाक मुद्दे पर लिखा रहा हूँ, लेकिन डर है कि कहीं बीबी ने पढ़ लिया तो जूते पड़ जायेंगे। बोलेगी कि निजी जीवन को सार्वजनिक करते हो। खैर जब बात उठी ही है तो कुछ लिखते हैं, लेकिन खुल कर नहीं। अभी हाल ही में डेलही हाई कोर्ट ने आदेश सुनाया कि अब पति और पत्नी खुले आम कही भी चूमाचाटी कर सकते हैं। लेकिन ध्यान यह रखना होगा कि कोई उसका गवाह न बने. डेलही जैसे भीडभाड वाले शहरों में जंहा हर आदमी काम बस काम और जल्दबाजी में रहता है ऐसे में किसको पड़ी है कि वो किसी के चूमाचाटी के लिए कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाये. सो ये बात अब तय है कि कोई भी कहीं भी चूमाचाटी कर सकता है.

अभी हॉल ही में भारत की एक अदालत ने दिल्ली में सार्वजनिक स्थान पर चुंबन के कारण अश्लीलता के आरोप झेल रहे एक दंपत्ति के ख़िलाफ़ मामले को ख़ारिज़ कर दिया है।दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि कैसे किसी युवा विवाहित दंपत्ति के प्यार जताने पर अश्लीलता का आरोप लगाया जा सकता है?

इससे पहले हमारे यंहा किसी पर अश्लीलता का आरोप तब लगाया जाता है जब इससे जनता को परेशानी हो, ऐसे अश्लील आचरण के लिए अधिकतम तीन महीने क़ैद का प्रावधान है। लेकिन इस बार डेलही की एक अदालत में जज ने फैसला सुनते हुए कहा कि अगर पुलिस की रिपोर्ट सही भी है तो भी यह बात समझ में नहीं आती कि एक युवा विवाहित जोड़े के प्रेम प्रदर्शन को कैसे अश्लीलता के दायरे में लाकर कानून की उत्पीड़क प्रक्रिया में डाला जा सकता है.

याद दिला दें कि इस विवाद का जन्म तब हुआ जब मशहूर होलिहूड अभिनेता रिचर्ड गियर ने एक समारोह में शिल्पा शेट्टी का चुंबन लेकर विवाद पैदा कर दिया था! सन 2007 में हॉलीवुड के अभिनेता रिचर्ड गियर ने दिल्ली में आयोजित एक समारोह में भारतीय अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी का सार्वजनिक रूप से चुंबन लेकर विवाद पैदा कर दिया था। इसके विरोध में अनेक प्रदर्शन भी हुए थे.

इस सबसे एक बात तो तय है कि अब इस चूमाचाटी से मनचले प्रेमी और प्रेमिकाओं को शादी के नाम पर चूमाचाटी का मौका जरूर मिल जाएगा!