Wednesday, February 11, 2009

फूल देते 'फूल लोग' ताकि प्यार याद रहे!

प्यार, तकरार, रार आदमी की देन है,
आदमी ही आदमी का बहुत बड़ा फैन है!

प्यार जब करे कोई देखता न रूप-रंग,
उम्र सीमा कोई नही, देखता ना कोई ढंग!

प्यार के इज़हार की है आदि-अंत कोई नही,
दूजी बात जाती-पांति उम्र सीमा कोई नही!

पहला प्यार भूलना है काम आसान नही
और दूजे प्यार पाना भी यार है आसान नही

प्यार का ना कोई दिन, रोज़-रोज़ प्यार रहे
फूल देते 'फूल लोग' ताकि प्यार याद रहे!

'शिशु' कहें प्यार में तकरार एक आम बात,
किंतु तकरार में यदि प्यार रहे बड़ी बात!

2 comments:

  1. ये बात तो सही है ...प्यार में कुछ नही देखा जाता ...ना जात ना पात ....ना सीमा ....किंतु जब आता है शादी का प्रश्न तब आता है मुश्किलों का दौर ....असली चुनाव तब होता है ....प्यार तो बहुत से कर लेते हैं ...निभाना मुश्किल होता है ...

    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

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  2. बहुत बढिया रचना है।बधाई।

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