Thursday, July 9, 2009

गाँव देहात में भी समलैंगिगता पर छिड़ी बहस

हाल की ताज़ातरीन खबरों से गांव देहात में जिस खबर ने ज्यादा प्रभाव छोड़ा है वह है धारा 377 (समलैंगिकता को कानूनी ठहराने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले) का समाप्त होना। अवगत करा दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने बीते सप्ताह एक याचिका निपटाते हुए कहा था कि वयस्कों के बीच सहमति से शारीरिक संबंध बने तो वह गैरकानूनी नहीं होगा। इस तरह अदालत ने समलैंगिकता को अपराध मानने से इनकार कर दिया था।

गावों में जहां आज भी रिश्तों की बुनियाद टिकी हुई है, इस प्रकार के रिश्तों को मानने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं। वंहा पान की गुमटी से लेकर गली चैराहों पर बस इसी खबर पर गहमागहम बहस जारी है। गांव देहात में रहने वाले हर वर्ग की अपनी-अपनी प्रतिक्रियाये दिल्ली हाईकोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले पर अलग अलग हैं।

युवावर्ग खबरों को जहां चटकारे लेकर दिलचस्प तरीके से मनगढंत कहानियां से गढ़ रहे हैं वहीं बुजुर्ग और बुद्धिजीवी वर्ग इस पर गंभीरता से विचार-विमर्ष कर रहे हैं। युवा वर्ग मसाले लगाकर दोस्तों के बीच खबर फैला रहे हैं कि ‘‘अब पुरूष-पुरूष के साथ और महिल-महिला के साथ शादी विवाह के रिश्ते होंगे, लेकिन यह मत पूछना कि इन रिश्तो के बाद मां कौन होगा और बाप कौन बनेगा।’’

एक बड़े बुजुर्ग ने यहां तक कहा कि ‘मुझे तो बस यही चिंता है कि कहीं इस बहकावे में हमारे लड़के और लड़कियां न आ जायं।’ गांव के ही एक सज्जन जो अभी पुलिस विभाग में दरोगा हैं, ने कहा-अच्छा हुआ कि धारा 377 खत्म हुई, आजकल थाने में समलैंगिकता के केस कुछ ज्यादा ही बढ़ रहे थे, पुलिस के पास इसके अलावा भी बहुत काम हैं।’’

गांव के एक भोले-भाले और बड़बोले नाई ने कहा-इससे एक बात तो तय है कि जनसंख्या पर लगाम जरूर लगेगी तथा अब लड़के लड़की पर छींटाकसी न करके लड़के लड़के पर और लड़की लड़की पर नज़र गड़ायेंगें। गांव के चरवाहे ने कुछ इस प्रकार से अपना मत प्रकट किया-ऐसे ही सब कुछ चलता रहा तो इस धरती से मानव जाति समाप्त हो जायेगी।

गांव की दादी अम्मा तो रीति-रिवाजों पर बात करने लगीं-यदि लड़का किसी की बहू बनकर आयेगा तो वह पैर में बिच्छू और मांग में सिंदूर लगायेगा कि नहीं।’’

पंडित और विद्वान व्यक्ति समलैंगिकता को अप्राकृतिक, मानवीय व्यवहार के खिलाफ व भारतीय संस्कृति के खिलाफ बताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर खिन्न हैं! उनका कहना है कि इस फैसले से कई तरह की सामाजिक व कानूनी दिक्कतें पैदा होंगी। मैरेज एक्ट के अमल में भी दिक्कत आएगी।

बात चाहें जो भी हो यह खबर जरूर बहस में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करती है।

3 comments:

  1. बहस तो हर स्तर पर होगी ही.

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  2. This comments received from Mr. Nilmani Singh provide by Mr. Rajiv Kumar Singh.

    चाहे मानसून लेट आया है
    पर एहसास नया ये लाया है,
    कानून में सुधार आया है
    देश में अब बदलाव आया है|

    लड़के को लड़की न खोजनी
    ना लड़की को लड़का,
    कोई भी मिल जाये चलेगा
    बस भिडे प्रेम का टांका |

    शायद अब किसी घर में
    मूंछों वाली भाभी आएँगी,
    कन्यायें कन्या को भी अब
    जीजू जीजू बुलाएंगी|

    उन्मुक्त गगन के नीचे केवल
    अब जोड़े ना रास रचाएंगे,
    बदला बदला होगा मंजर
    लड़के जब लड़का पटायेंगे|

    पुलिस के पास भी अब शायद
    छेड़छाड़ के केसेज बढ़ जायेंगे ,
    महिला महिला को छेड़ेगी
    पुरुष पुरुष से छेड़े जायेंगे |

    हर सिक्के के पहलू दो होते
    कुछ सुधार तो आयेंगे,
    ये नए बदलाव देश को
    जनसँख्या विस्फोट से बचायेंगे|

    Nilmani singh
    Project Officer
    Pathfinder International
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    Patliputra Colony
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    Telfax: 91-612-2275290/1, 2276870/7
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