शादी का बुलावा आया
मैंने जाने का प्रोग्राम बनाया
साथ चलने के लिए एक दोस्त को फ़ोन घुमाया
ओके ओके, दोस्त का जवाब आया
वह भी एक के साथ एक दूसरा लाया
हम पहुँचे और यह हिसाब लगाया
यार, क्या बात है दूल्हा नज़र नही आया
बैंड वाला आया, ढोल वाला एक जगह बजा के वापस आया
मैंने कहा माज़रा क्या है?
दूल्हा कान्हा गया
पता लगाते लगाते लग गया
दूल्हा तो ट्राफिक में फंस गया
खैर दूल्हा ९ बजे आया
बैंड वाले ने बैंड और घोडी वाले ने घोडी सजाया
झटपट घोडी पर दूल्हे को बिठाया
नाचते नाचते १० बजे दुल्हन का घर आया
हमने फटाफट खाना खाया
सड़क पर आकर ऑटो ऑटो चिल्लाया
घर आकर दरवाजा खटखटाया
बीबी को सोते से जगाया
घड़ी पर नज़र गई तो १२ बजे बजते पाया
और बीबी का भी मुंह इधर उधर बनाते पाया
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