'सच का सामना' अब
जानलेवा साबित हो रहा है
कम से कम अखबारों में तो
यही लिखा आ रहा है
बात सही है!
पर ऐसा मै नहीं मानता हूँ,
सच कड़वा होता है
मै तो बस यही जानता हूँ,
फिर मजबूर हो जाता हूँ
कि अखबार सही कह रहे हैं
क्यूंकि आजकल गंगा और जमुना
एक ही सीध में बह रहे हैं।
एक चीज और जो
मुझे पता चली है कि
अखबारों में वही छपा-छपाया आता है
जो कि मोटी रकम देकर
लिखवाया जाता है
बुद्धिजीवी कहते हैं
ऐसा इसलिए लिखवाया जाता है
ताकि प्रोग्राम पापुलर करके
जनता को भरमाया जाता है
पर 'शिशु' आपको
इससे क्या फर्क पड़ता है?
आपतो गधे के साथ जड़ हो
आपकी बुद्धि में भी जड़ता है
सार्थक रचना है
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ना लाओ ज़माने को तेरे-मेरे बीच