Sunday, August 23, 2009

पहरेदार बड़ा बेचारा, देखा उसने नया नज़ारा

पहरेदार बड़ा बेचारा
देखा उसने नया नज़ारा
कार के पीछे कार खड़ी थी
मैडम उसपर भड़क रही थी
उसको जाकर डांट पिलाई
अपनी फिर औकात दिखायी
मैंने तुझको था लगवाया
यंहा चले है मेरी माया
तू तो है गरमी का आदी
कपड़े भी तेरे हैं खादी
मुझको गरमी बहुत सताती
सुबह-सुबह एसी चलवाती
बिन एसी के रहा न जाता
यह मौसम है रास न आता
जल्दी कर ये कार हटा
किसकी है ये साफ़ बता
पता नही मैं क्या हूँ चीज
मुझको आती कितनी खीज
पहरेदार प्यार से बोला
समझ गया मैडम हैं शोला
साहब बड़े कार हैं लाये
ऑटो से वो आज न आये
मैंने उनको था समझाया
पर उनको था समझ ना आया
जाकर उन्हें अभी हड़काता
चाभी छीन-छान कर लाता
मैडम फिर से भड़क गयी
कार के भीतर बैठ गयीं
पहले तो क्यूँ बोल न पाया
भेद ठीक से खोल ना पाया
ठहर सज़ा इसकी दिलवाती
साहब को मैं अभी बताती
उनको तू हड्कायेगा?
उनकी कार हटाएगा?
उसको दिन में दिख गया तारा
सीधा-साधा था बेचारा
देखा उसने नया नज़ारा
पहरेदार बड़ा बेचारा
देखा उसने नया नज़ारा

2 comments:

  1. Aap Ka yeh sajiv chitrankan sarahniy hai. Pahredar ki Manahsththi ka bahut sunder varanan hai.

    sudhir

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  2. Aap Ka yeh sajiv chitrankan sarahniy hai. Pahredar ki Manahsththi ka bahut sunder varanan hai.

    udhir

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