Tuesday, December 29, 2009

नहीं किसी से हो रुसवाई ! नया वर्ष बीते सुखदाई।!

नई उमंगें नई तरंगे नए वर्ष के वन प्रभात में,
बीत रहा जो वर्ष अभी है उसकी मधुर-मधुर स्मृति में,
आप सभी को बहुत बधाई,
नया वर्ष बीते सुखदाई।

सुख-समृद्धि, उन्नति सब पायें, दुःख की आंच न हम पर आये,
भले बुरों के भी हो जाएँ, दुश्मन सभी दोस्त बन जाएँ,
नहीं किसी से हो रुसवाई
नया वर्ष बीते सुखदाई।

स्वास्थ रहे उत्तम सदैव ही, अच्छी सबकी रहे कमाई,
घर-परिवार रहे मिलजुलकर झगड़ों की न पड़े परछाई,
'शिशु' भावना है ये आई
नया वर्ष बीते सुखदाई

1 comment:

  1. बढ़िया रचना!!


    मुझसे किसी ने पूछा
    तुम सबको टिप्पणियाँ देते रहते हो,
    तुम्हें क्या मिलता है..
    मैंने हंस कर कहा:
    देना लेना तो व्यापार है..
    जो देकर कुछ न मांगे
    वो ही तो प्यार हैं.


    नव वर्ष की बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.

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