कौन है देशी कौन विदेशी अब ये चर्चा करता कौन,
माल विदेशी सभी खरीदें उस खर्चे पर सब मौन।
क्रिकेट विदेशी खेल कभी था अभी देश का है सिरमौर,
इंग्लिश बोली सुनो विदेशी लेकिन अभी उसी का दौर।
पेप्सी-कोला सभी विदेशी फिर भी पीते देशी लोग,
पीजा बर्गर क्या देशी हैं? उसका सभी लगाते भोग।
जींस और पतलून विदेशी लगे विदेशी पहनावा,
हिन्दुस्तानी कहलाते हम कैसा भी हो पहनावा।
अब ना देशी अब ना विदेशी अभी दौर बाज़ारों का,
कहते हैं शिशुपाल सुनो जी अब का दौर गुज़ारों का।
क्या बात है शिशुपाल जी ..कलम की धार ्खूब तेज है ............बढिया है ..लिखते रहें
ReplyDeletebhaut khoob ye bairo ka desh hai sunta kon hai bhai
ReplyDeleteबिलकुल जनगीत का अन्दाज़ है ..।
ReplyDeleteअब ना देशी अब ना विदेशी अभी दौर बाज़ारों का,
ReplyDeleteकहते हैं शिशुपाल सुनो जी अब का दौर गुज़ारों का।
बहुत बढ़िया रचना है।बधाई।
ReplyDeleteकौन है देशी कौन विदेशी अब ये चर्चा करता कौन,
माल विदेशी सभी खरीदें उस खर्चे पर सब मौन।
जमाने की नब्ज को आपने बखूबी पहचाना है।
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छोटी सी गल्ती जो बडे़-बडे़ ब्लॉगर करते हैं।
क्या अंतरिक्ष में झण्डे गाड़ेगा इसरो का यह मिशन?