Saturday, January 3, 2009

धर्मगुरू, धार्मिकता, धार्मिक चैनल

भारत देश शुरू से ही आध्यात्म का केन्द्र रहा है। 33 करोड़ देवी-देवताओं वाले इस देश के धर्मगुरूओं ने प्राचीन काल से धर्म के प्रचार-प्रसार के अलग-अलग तरीकों से धर्म की शिक्षा देते रहे हैं। आज के बदलते परिवेश में धन बनाम धर्म की दौड़ में धार्मिक संदेश और धार्मिकता का पाठ पढ़ाने वाले बाबाओं को नये अवतार में देखा जा रहा है। मीडिया की चकाचौंध ने उनको भी फिल्मी सितारों की तरह प्रसिद्धि दिलाई है। फिल्मी नायक-नायिकाओं की तरह अबके धर्मगुरू भी लोगों के आइकन बन गये हैं। हर कोई जो इन धार्मिक चैनलों का लुप्त उठा रहा है अपने-अपने बाबाओं का फैन है।

जैसा चैनल वैसे बाबा। सुनने में यह बात भले ही अजीब लगे लेकिन है कुछ हद तक यह सत्य ही। धार्मिक चैनलों पर प्रवचन सुनाते हुए बाबा मोटी रकम मीडिया चैनलों को देते हैं। कहावत है जो दिखता है वो बिकता है वाली बात चल रही है। एक सत्य और सामने आया कि कुछ धार्मिक बाबा जनता को प्रवचन और बोलबचन के साथ ही साथ विज्ञापनों से मोटी कमाई भी कर रहे हैं।

टीवी चैनलों पर गौर करें तो अमेरिकी टीवी चैनल की एक प्रसिद्ध डिजीटल टेलीविजन सर्विसेस डायरेक्ट टीवी, इंक ने भारत के एक आध्यात्मिक चैनल को डायरेक्ट टीवी चैनल पर जगह उपलब्ध कराने की बात कही है। एक सर्वेक्षण से पता चला है कि मार्च 2005 से अप्रैल 2006 में अकेले आस्था चैनल के विज्ञापनों का 75 प्रति’ात तक इजाफा हुआ है। ज्यादातर धार्मिक चैनलों का समय प्रातः 4 से 9 तक रहता है फिर भी उनकी कमाई प्रति 10 सेकेण्ड 600 रूपये तक हो रही है।

ऐसा नही है कि इन धार्मिक चैनलों को टीपीआर की श्रेणी में नही रखा जाता। इन चैनलों को बराबर हिट रखने के लिए धार्मिक चैनलों को पापड़ बेलने पड़ते हैं। देखने में यह भी आया है कि कुछ धार्मिक बाबाओं ने कारपोरेट जगत ही तरह अपने यहां मीडिया / जनसंपर्क अधिकारी भी नियुक्त कर रखे हैं।
बात यह है कि आज के इस चकाचौंध में धर्म और धन के होड़ में पैसा बनाने के तरीके हर जगह अपनाये जा रहे हैं।

2 comments:

  1. bhagvaan hi bchaaye in dhaarmik guruon ke gorakh dhandhe se

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  2. भाव और िवचार की दृषटि से अच्छी रचना है । प्रभावशाली शब्दावली ने अभिव्यक्ति को प्रखर बना दिया है ।

    मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-आत्मविश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग-यदि समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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