हम वह किताबें नहीं पढ़ेंगे
जिसमें लिखा है- ‘अंगूर खट्टे हैं’‘
गाय दूध देती है’
और ‘मधु मक्खी शहद’
गाय दूध नहीं देती
उसके बछड़े को बांधकर
उनके हिस्से का दूध छीन लेना
और कहना कि गाय दूध देती है
कहां का न्याय है।
हमें अस्वीकार है यह पढ़ना
कि मधुमक्खी शहद देती है
हम जानते हैं कि
उसके पूरे वंश का नाश करके ही
हम निकाल पाते हैं शहद
नौ दो ग्यारह अब तुम्हारे लिए रह गया है
अब वह हमारे लिए है
एक एक दो, दस एक ग्यारह
बात-बात पर बेंत फटकारना
और बिला वजह कान उमेठने का मतलब
अहिंसा नहीं होता।
यह कविता हरिहर प्रयास द्विवेदी की मूल रचना ‘भीगी बिल्ली’ से ली गयी है।
No comments:
Post a Comment