सखी वे मुझसे कहकर जाते.......
अपनी बात हमें बतलाते
तो क्या उनको नही पिलाती
मदिरा की तुम बात करो मत
और भी चीजे हैं पीने की
इससे नही भरा दिल सबका
कोई है क्या जो ये न माने
बात बात पर कसमे खाना
जीने मरने की वो बातें
भूखे कट जाती हैं रातें
फिर भी उनको याद दिलाती
बिना बर्फ के नही पिलाती
सखी वे मुझसे कहकर जाते.......
अपनी बात हमें बतलाते
तो क्या उनको नही पिलाती
करवा चौथ तो मै हर दिन रहती
बिन खाए उपाय मै करती
किसी तरह से पैसा आए
प्रीतम पीकर खुश हो जायें
उनसे कुछ मै नही छुपाती
बात थी बस एक करवा चौथ की
अगले दिन मै याद दिलाती
सखी वे मुझसे कहकर जाते
तो क्या उनको नही पिलाती
सखी वे मुझसे कहकर जाते.......
अपनी बात हमें बतलातेतो
क्या उनको नही पिलाती
वाह! वाह! क्या बात है आज तो पीना पड़ेगा पानी
ReplyDeletebahut sunder rachana
ReplyDeleteregards
बहुत सुन्दर रचना है।बधाइ।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना है शिशु जी आनंद आ गया सुंदर प्रवाह वाला गीत उत्तम संदेश के साथ
ReplyDeleteशिशु भाई ! जबरदस्त :P
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